760406 - Conversation A in Hindi - Vrndavana
A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada
(Conversation in Hindi (Some English) During Lunch)
HINDI TRANSCRIPTION
भक्त: (घोषणा करते हुए) यह है। . . (अस्पष्ट) . . . वृन्दावन में, दोपहर के भोजन के समय। पहले तो जो गुरु हैं उनको प्रणाम करें। परन्तु बात ये नहीं है की हमलोग जन्म से जिससे अटैच्ड हैं। इसमें बहुत झगड़ा है।
प्रभुपाद: क्या झगड़ा है?
भक्त: प्रमाण है।
प्रभुपाद: शास्त्र प्रमाण है।
भक्त: ये आपका शिष्य जो कार्ल मास्टरजी के साथ गए थे इनसे पूछिए। है, है, तो क्या बोला?
प्रभुपाद: क्या?
भक्त:
प्रभुपाद: है, है, तो क्या बोला?
भक्त: मैं एहि बोला वो आपको सौ । दुसरे वर्ण के गुण पाए जाये अगर ब्राह्मण में शूद्र के गुण पाए जाये तो उसे शूद्र समझना चाहिए, ब्राह्मण नही। और वो आपने हमको बताया था श्रीमद भागवतम के स्कन्द से श्लोक में वो बोले की तीन प्रकार का शेर होता है। शेर वो तीन प्रकार का होता है, लायन। तो एक लायन उसको कहते हैं जो असली लायन। दूसरा लायन उसको कहते हैं जो लायन जैसा आदमी है। तीसरा लायन जो है सिर्फ पिक्चर का लायन। तो इस प्रकार तो एक ही है लेकिन भेद है। तो इस वाक्य के अंदर ।
प्रभुपाद: जो जैन श्रीधर स्वामी, वीर राघवाचार्य, विश्वनाथ चक्रवर्ती,
भक्त: वो उनके जो दो-चार शिष्य थे हमको बोलने नहीं दिए, वो समझे की वो बहुत बड़े हैं और हम बहुत छोटे हैं। हम ज्यादा बोल नहीं सके। चैतन्य संप्रदाय में, रामानुजा संप्रदाय में, सब आपस में । वो लोग तो बोलता है की हम जो बोलता है वो शास्त्र है। ये जो आपका हरिद्वार में आये थे मध्वा संप्रदाय का एक आचार्य। तो वो बोलै के शास्त्रार्थ करेगा। जो विभूति है भगवान का है।
भक्त: हम बताया की माना की एक दोष है। आप ९९९ गुण नहीं देखते हैं और एक दोष देखते हैं और उसको रिजेक्ट कर देते हैं। ये शायद आपके फिलॉस्फी के विपरीत, अलग है, भिन्न है। फिर भी आप देख सकते है की सारी दुनिया में किस तरह से विचार है।
प्रभुपाद: हम उसको पकड़ते नहीं। श्रीधर स्वामी, वीर राघवाचार्य, विश्वनाथ चक्रवर्ती, जीव गोस्वामी, बड़े-बड़े सब आचार्य, वो सब अपने टिका में सपोर्ट करते हैं। वो तो बोला नहीं के तीन प्रकार का शेर होता है। ये सब बताया नहीं। एक शेर । बाकि ये जो भारत की दुर्दशा है झूट-मूट ।
- वैष्णव जाति-बुद्धिर
- विष्णुर वा वैष्णवानाम
अर्चे विष्णु शिलाधीर। जैसे भगवान का मूर्ति दर्शन करने के लिए सारा दुनिया से इधर आते हैं। और कोई आकरके ये तो पत्थर है जी, इसको देखने के लिए इतना मुर्ख आदमी सब आते हैं। बोलता है, आर्य समाज बोलता है। भक्त: हमलोग के यहाँ प्राण प्रतिष्ठा होने से मूर्ति में भगवान हैं। प्रभुपाद: प्राण प्रतिष्ठा जो शूद्र है वो ब्राह्मण प्रतिष्ठा नहीं हो सकेगा? एक पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा होता है और एक जीवित है उसमे वैष्णव प्रतिष्ठा नहीं। देखिये क्या । पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा और एक जीवित में, उसमे कोई प्रतिष्ठा नहीं। वो पत्थर से भी ज़बरदस्त है। ये विचार है। इफ यू कैन गिव लाइफ टू ए पत्थर, यू कन्नोट गिव ए लिविंग बीइंग कृष्ण भक्ति? भक्त: भक्ति का तो। प्रभुपाद: तो फिर और क्या है? भक्त: भक्ति का तो बहुत आदर करते हैं। पिछले जमाने में बोलते है हमारा हरिदास चमार था। प्रभुपाद: हमारा तो हरिदास ठाकुर मुस्लमान था। उसको हरिदास ठाकुर को अद्वैता आचार्य, प्रेजिडेंट ऑफ़ दी ब्राह्मण शांतिपुर उनको वो स्वाद पात्र दिया। तो वो हरिदास ठाकुर उनको बोला “अद्वैता प्रभु आप तो हमको बहुत यत्न करते हैं बाकि ये जो स्वाद पात्र हमको दिया इसमें तो आपको समाज में बड़ा मुश्किल रहेगा”। तो वो चैलेंज किया की कौन ऐसा ब्राह्मण है हमसे आ करके वो तर्क करें। हम जानते हैं की आपको खिलने से एक हज़ार ब्राह्मण का जो फल होता है वो मिलेगा। वो खामोश था। अद्वैता आचार्य जो ब्राह्मण समाज के प्रेजिडेंट उन्होंने कहा की आपको हरिदास ठाकुर मैं भोजन करा दिया एक हज़ार ब्राह्मण को भोजन करने से जो फल मिलता है, और वो था मुस्लमान। वो खुद ही कहा की महाराज आप हमको इतना चाहते हैं। आपको समाज में । और चैतन्य महाप्रभु हरिदास ठाकुर का डेड बॉडी ले करके कीर्तन किया, और उनका स्पष्ट बात है
- किबा शूद्र, किबा विप्र, न्यासी केने नए
- येई कृष्ण-तत्त्व-वेत्ता, सेई 'गुरु' हय
ये चैतन्य महाप्रभु कहा की चाहे ब्रह्मण होए चाहे शूद्र होए, और चाहे गृहस्त होए चाहे सन्यासी वो अगर कृष्ण प्राप्ति, कृष्ण तत्त्व वित्त है तो वो। “किबा विप्र, किबा न्यासी, शूद्र केने नए” इसलिए चैतन्य महाप्रभु प्रमाण स्वरुप ये हरिदास ठाकुर को नामचार्य बनाया, वेदांत आचार्य। ये नाम का आचार्य। नाम प्रचार करने को आया खुद आचार्य नहीं बना वो हरिदास ठाकुर को आचार्य बनाया, नामचार्य। इसलिए हमलोग जय कहते हैं नामचार्य श्रीला हरिदास ठाकुर की जय। है ये सब विचार तो इंडिया में ही रहेगा। अब तो बहार में और है। भक्त: ये तो किताब हम देखा नहीं। प्रभुपाद: इसका एक सीक्रेट है। प्रभुपाद: चैतन्य महाप्रभु किया। उन्होंने भविष्य वाणी कर दिया था
- पृथिविते आचे यत नगरादि-ग्राम
- सर्वत्र प्रचार हैबे मोरा नाम
प्रभुपाद: ये हम कभी बोला नहीं था आज बोल रहे हैं। सीक्रेट है की हम हम सोच रहा था। जब तक गुरु महाराज बोला की तुम वेस्टर्न कंट्री में जाओ और अंग्रेजी में प्रचार करो हम सोच रहे हैं की ये जो जब हम बोलेंगे की मीट ईटिंग, इल्लिसित सेक्स, मदिरा सेवन । बाकि ये हमारा दृढ़ विश्वास था जब चैतन्य महाप्रभु बोल दिया की सारा दुनिये में हमारा नाम प्रचार करो, ये कैसे गलत हो सकता है। ये हमारा विश्वास था। इसलिए ये वृन्दावन में सत्तर वर्ष आयु में हमने सोचा की गुरु महाराज ने बोला था, चैतन्य महाप्रभु बताये, चलो एक दफे हम ट्राई करते हैं। तो वो सक्सेस हुआ तो ये उनलोग का आशीर्वाद है। मैं तो होपलेस था की ये हो कैसे सकता है। बाकि ये विश्वास। ये विश्वास की चैतन्य महाप्रभु बोलै है तो जरूर होने वाला है। भक्त: ट्राई करते हैं (हंसी) प्रभुपाद: ये हमारा अट्टू विश्वास। चैतन्य महाप्रभु बताया है की सारा पृथ्वी इसको ग्रहण करे तो होपलेस होते हुए भी चलो एक दफा ट्राई करे। ये दृढ़ विश्वास। चैतन्य चरितामृत में बताये हैं "श्रद्धा शब्दे विश्वास सुदृढ़ निश्चय"। श्रद्धा वो उसी को श्रद्धा बोलै जाता है जिसका विश्वास सुदृढ़ निश्चय। कृष्णा भक्ति कैले। इतना तो हमारा विश्वास पूर्ण। आप सीक्रेट ऑफ़ सक्सेस चाहते थे एहि है सीक्रेट, विश्वास। कुयूं नहीं। चैतन्य फालतू बात बोलै है? भक्त: आप ने तो अमेरिका में कर दिया। मेरी भावना ये की आपको प्रभु प्रेम आ गयी है। ये तो कल हम गोवर्धन गया था भाई ये तो बड़ी विभूति है। आपके बारे में सब बात हुआ। हम बोले सब ऐसा-ऐसा है इतना । तब वो बोलै की कोई भी सक्सेस नहीं हुआ। वो क्या नाम है महेश योगी फ़ैल हो गया। कितना आदमी लोग गया, आप सक्सेस जो गए। प्रभुपाद: ये जो महेश योगी है न, इसका सेक्रेटरी, खास साथ में रहता है। वो उनको पूछा महाराज हम तो भगवान को चाहते हैं। हम तो भगवान को चाहते हैं। उनको मास्टरजी बोला की अगर तुम भगवान को चाहते हो तो, भक्ति वेदांत स्वामी , वो बोल दिया। भक्त: उनके पर्सनल थे, वो उनसे अलग हो गए। महेश योगी का सीक्रेट हमलोग जानता है क्यूंकि । ये शंकराचार्य थे न उनका शिष्य । तो बाद में उनसे अलग हो करके कुछ नहीं था। प्रभुपाद: उनका जो फिलोसोफी है, ये जो यूरोप, अमेरिकन है, जो योग-योग के पीछे जाते हैं, । ये जो सत्ता है योग कहके ठग-ठगके कुछ रूपया । भक्त: और इसी प्रभाव में बहुत इंडियन लोग भी है। । क्यूंकि उधर गर्मी की मौसम में बहुत आदमी लोग सत्संग में जाता है न । वो अपना गुरु से झगड़ा किया, वो बोलता है उनको पाइजन भी वोही दिया, फिर उनका ग्रुप था, वो मर गया, दूसरा कोई जो गया । प्रभुपाद: मुस्लमान को भी दीक्षा दिया। भक्त: यहां है क्या? (हंसी) प्रभुपाद: भक्त: तो महाराज ये है । मैंने आपकी बड़ी हिस्ट्री पढ़ी है। प्रभुपाद: ये अहमदाबाद में कोई स्वामी वो जगद्गुरु लिखता है। तो उसको चैलेंज करता है आप जगद्गुरु लिखा है, जगत कभी देखा भी है? इंडिया के बहार कभी गया? क्यों । भक्त: ठीक कहा। महाराज जी तो खुद सेल्फ-स्ट्य्लेड हैं। यहाँ भी एक हैं, मैं नाम नहीं लूँगा, वो महामण्डलेश्वर प्रभुपाद: अरे हमारा तो ये फिलोसोफी नहीं है जो हिन्दू मुस्लमान । भक्त: लेकिन, आप ऑटोमेटिकली । प्रभुपाद: कोई क्रिस्चियन को पूछता है क्रिस्चियन धर्म से भगवान की प्राप्ति हो सकती है की नहीं? शास्त्र में बताया उसको पालन करो। अब जैसे जीसस क्राइस्ट बोलता है "दोउ शॉल नॉट किल" बट यू आर वैरी एक्सपर्ट इन किलिंग, व्हाट काइंड ऑफ़ क्रिस्चियन यू आर? भक्त: प्रभुपाद: असल में क्रिस्चियन वास्तविक हो । ये मुस्लमान है ठीक से अगर । क्यूंकि ये तो सब का अधिकार है की आदमी को भगवान का नाम सुनाये। मुस्लमान को जोकि उनको पांच दफे मस्जिद में जा करके सर झुका करके । तो ऐसा देश, काल, पात्र का उसमे रहेगा। ये तो आपको बाकि जो काम करने वाला है वो कहाँ तक भगवान का विषय कोई उसको समझाए। उसी । ये क्रिस्चियन लोग जो यहाँ देखिये टेन कमांडमेंट्स में है की "दोउ शॉल नॉट किल" और जीसस क्राइस्ट को ही पहले क्रूसिफ़ाइ कर दिया। किस थे वो लोग? भक्त: प्रभुपाद: वो मना किया की किल नहीं करो और वो किल किया आपको पहले। भक्त: मैं आपको मिलने आये थे उनसे क्या बात कहूँ? प्रभुपाद: उनकी इच्छा है। ये जो आपका इधर में रिलिजन है, आप इधर क्यों । ये हमारा रिलिजन है नहीं उधर जाईये। देख के बोला इधर भी रिलिजन है नहीं। क्यूंकि क्राइस्ट बोलता है "दोउ शॉल नॉट किल" और सब लोग किल करते हैं। भक्त: प्रभुपाद: से बोल रहा है। इधर तो रिलिजन है। हम तो करते हैं। उधर चर्च में है क्या, उधर कोई रिलिजन है नहीं। भक्त: प्रभुपाद: नहीं, मैं भी उसको जवाब दिया की इधर रिलिजन है। भक्त: हरे कृष्णा।
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