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701220 - Lecture Hindi - Surat

His Divine Grace
A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada



701220LE-SURAT - December 20, 1970 - 09:36 Minutes



HINDI TRANSCRIPTION

प्रभुपाद:

धर्मं तु साक्षाद्भगवत्प्रणीतम्


धर्म को मनुष्य नहीं बना सकता, जैसे कानून राजा ही बना सकता है, सरकार ही बना सकती है, और सरकार का कानून सब कोई मानता है। इसी प्रकार धर्म — धर्मं तु साक्षाद्भगवत्प्रणीतम् — भगवान ही धर्म बना सकते हैं। और यह धर्म मानना — और यह धर्म क्या चीज़ है — भगवान ख़ुद बता रहे हैं कि:

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज (भगवद्गीता 18.66)

और सब जितने तुम धर्म बनाए हो, उनको सब छोड़ दो। एकमात्र हमारे शरण में, शरणागत हो जाओ — भगवत्भक्ति... (अस्पष्ट) सब शास्त्र का, वेद-वेदांत का उद्देश्य यही है कि मनुष्य समाज को भगवत्भक्ति की जाए। तभी जाकर के समाज में सुख है, आनंद है। आगे जाकर के भी आनंद है। यही हमारी वैदिक पद्धति है। इसलिए कृष्ण कॉन्शियसनेस मूवमेंट जो है, यह ऐसे किसी ने बनाया नहीं है — यह शास्त्रीय है। क्या नाम — भगवान कृष्ण के मुखारविंद से जैसे-जैसे बताया गया है, उसी का प्रतिपालन करना है। कृष्ण कॉन्शियसनेस मूवमेंट का एकमात्र उद्देश्य है। बाकी यह जो विषय है — यह भगवद्गीता को ऐसे बहुत लोग हैं जो अपना मनमाफिक इसका अर्थ लगाकर आदमी को दुखी बना देते हैं। इसलिए हम लोग भगवद्गीता — भगवद्गीता हम लोग भी छपवाए हैं — भगवद्गीता As It Is। यह (अस्पष्ट) बहुत बड़ी प्रकाशन कंपनी है अमेरिका में, लंदन में। यह किताब इनको दी गई है — ५०,००० प्रति वर्ष छप रही है। १९६८ से शुरू किया है — As It Is — भगवद्गीता As It Is। भगवद्गीता समझानी है As It Is। भगवान कहते हैं:


मन-मना भव मद्भक्तो
मद्याजी मां नमस्कुरु


यही तो भगवत्भक्ति है। भगवान ख़ुद कहते हैं — हर समय हमारा चिंतन करो:


मन-मना भव मद्भक्तो
मद्याजी मां नमस्कुरु


हमारी पूजा करो — मां नमस्कुरु — हमें नमस्कार करो... (अस्पष्ट)। इससे तुम्हारे जीवन की सिद्धि — सफलता हो जाएगी। बाकी दुर्भाग्य है — बड़े-बड़े कथित दार्शनिक विचार... इसलिए आप लोगों से निवेदन है — आप लोग...(अस्पष्ट) आप भगवद्गीता अच्छी तरह से पढ़िए। और भगवद्गीता ठीक-ठीक पढ़ने के लिए जो आपको... (अस्पष्ट)


हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे


तो आपका चित्त शुद्ध हो जाएगा और उसके पश्चात आप भगवद्गीता पढ़ेंगे, उसका यथार्थ अर्थ आपके हृदय में प्रकट होगा। आपका जीवन सफल हो जाएगा। यह भगवत्प्रचार का जो विषय है — इधर-उधर भगवद्गीता से लाभ नहीं है। भगवद्गीता आज की नहीं — हजारों वर्षों से है। पश्चिमी देशों में बहुत सी — अंग्रेज़ी में, जर्मन, जापानी..(अस्पष्ट)

बाक़ी भगवद्गीता ठीक से समझाई नहीं गई थी, इसलिए.(अस्पष्ट)