720217 - Lecture Hindi - Visakhapatnam: Difference between revisions
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प्रभुपाद: और ये जो परदेश में प्रचार करने के लिए ये विषय है। उन्नीस सौ पैंसठ साल में जब मैं उदाहर गया था बोस्टन में तो उधर जहाज़ में गया था पहले समय हवाई जहाज़ में जाने के लिए परिस्थिति नहीं था। बॉम्बे में स्किनडीए नैविगेशन ने किकेट दिया था। तो किसी तरह से उधर पहुँचा था और बोस्टन पोर्ट में बैठ-बैठ के हम सोच रहा था की इनको भगवद भक्ति किस तरह से सिखाया जाये। पहले तो हम अगर कहेंगे की देखो जी तुमको मांस खाने को नहीं मिलेगा और अवैध स्त्री संघ करने को नहीं मिलेगा और जुआ खेलने को नहीं मिलेगा और नशा भांग, चाय कॉफी भी नहीं पी सकोगे तो ये जब सुनेगा तो उसी वक्त बोलेगा महाराज आप घर वापस जाइये, आप का ये बात सब नहीं चलेगा। पहले-पहले हमारा कई एक स्वामीजी गया था लंदन में और लार्ड जेटलैंड उनको पुछा था की महाराज आप हमको ब्राह्मण बना सकेंगे? तो उनको बताया गया की अगर आप ये चार चीज़ छोड़ देंगे तो आपको हम ब्राह्मण बना देंगे। तो बोला ये असंभव है, हमारे लिए ये असंभव है। ये जो अवैध स्त्री संघ और जुआ खेलना और नशा भांग करना और मांस आदि भक्षण करना, ये तो हमको चाहिए। इसलिए मैं सोच रहा था की किस तरह से इसको समझाया जाये की किस तरह से वैष्णव बनाया जाये। तो भगवान से प्रार्थना किया की आप जब इधर ले आएं हैं तो जरूर आपको कुछ मतलब है तो आप कृपा कीजियेगा की मैं इसको प्रचार करेगा। तो भगवान की कृपा से ऐसे ही हुआ। ये जो बालक लोग है पहले-पहले तो हम कीर्तन कर रहा था, ये लोग इक्खट्टे होते थे और पहले कुछ नहीं फिर कुछ दिन बाद इनका भीतर कोई-कोई बोलने शुरू किया की महाराज हमको दीक्षा दीजिये, हमको चेला बनाइये। तो हम ये शर्त दिया की देखो जी तुमको पहले ये चार चीज़ छोड़ने पड़ेगा। यदि इसमें तुम राज़ी है तो हम तुमको चेला बनाएगा। तो सब छोड़ दिया। अब एक नहीं हज़ारों सब छोड़ दिया। तो क्या आप लोग नहीं छोड़ सकते हैं क्या? जो लोग जीवन के पहले से ही ये सब सिखाया जाता है वो भगवान का नाम से ये सब छोड़ दिया और परम वैष्णव हो गया। ये लोग बीड़ी भी फूकता नहीं, सिगरेट भी चाहते नहीं। चाय भी नहीं पीते हैं। आप जानते हैं की अभी ये प्रोसेशन आते-आते ये बच्ची जो है इसको कोई कॉफ़ी दिया। बाकि वो बोला की नहीं हम कॉफ़ी नहीं पीते हैं। ये बच्चे भी नहीं, उसका माँ-बाप भी नहीं। तो ये भगवान को प्राप्त करने के लिए जरूर आपको पाप से विवर्जित होने पड़ेगा। ये ही तो भगवान खुद कहते हैं; | |||
:येषां त्व अंत-गतं पापं | |||
:जनानां पुण्य-कर्मणाम् | |||
:ते द्वन्द्व-मोह-निर्मुक्ता | |||
:भजन्ते माम् दृढ़-व्रतः | |||
जो विरहता विषयी, भजन करने वाला है, वो साधारण व्यक्ति नहीं है। वो पाप ही नहीं कर सकेंगे, केवल पुण्यवान ही कर सकेंगे। ये तो भगवान कह रहे हैं न "येषां त्व अंत-गतं पापं" जिसका पाप बिलकुल खो गया है और केवल पुण्य काम है वो ही खाली भगवद भजन कर सकेगा। ये साधारण बात नहीं है। ये क्यूंकि अर्जुन भगवान से गीता सुन करके भगवान को क्या बताता है; "परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्"। तो भगवान जो है "पवित्रं परमं" परम पवित्र है। तो भगवान के पास अपवित्र पापी कोई नहीं पहुँच सकेगा। इसलिए जीवन अपना पवित्र करना चाहिए। तो जीवन पवित्र करने के लिए ये जो चार खम्बे हैं पाप जीवन के लिए; अवैध स्त्री संघ, अपना स्त्री जो है विवाहित, मनुष्य समाज में विवाह है, पशु समाज में विवाह नहीं है, क्यों? मनुष्य को पाप से वर्जित करने के लिए। तो इसलिए अवैध स्त्री संघ; अपना वैवाहित स्त्री छोड़ करके कोई स्त्री से संपर्क नहीं रखना। ये हमारा चाणक्य पंडित निति वाक्य से बताया है, साधारण निति, समाज की निति, | |||
:मातृवत पर-दारेषु | |||
:पर-द्रव्येषु लोष्ट्रवत | |||
:आत्मवत् सर्व-भूतेषु | |||
:यः पश्यति स पंडितः | |||
पंडित किसको कहा जाता है? एम् ए, बी ए पास करने से कोई पंडित नहीं होता है। उसको पहचान होता है। क्या चीज़/ जो अपना स्त्री छोड़ करके जितने स्त्रियां हैं अपना माता समझता है। जो समझने वाला है। ये नहीं की हमारा स्त्री है औअर दूसरी स्त्री को भी पटा लो। ये सब पाप करने से भगवान कभी नहीं मिलते हैं। इसलिए कहते हैं "येषां त्व अंत-गतं पापं"। महापापी जो होते हैं वो भगवान से संपर्क नहीं करते हैं। इसलिए वो पाप करते-करते इतना महापापी हो जाते हैं की आगे जा के कहते हैं की भगवान कुछ है नहीं। अरे भगवान है, तुम्हारा संपर्क नहीं है। भगवान है। भगवान नहीं है, ये सब विचार। तो देखिये ये लोगों को समझाया गया। ये समझ लिए और इसी तरह से जीवन निर्वाहित कर रहे हैं और देखिये कितना सुखी हैं। और एक नहीं हज़ारों। और ये आंदोलन यूरोप,अमेरिका में खूब अच्छी तरह से चल रहा है। हमलोग का केंद्र कम-से-कम महीना में एक-दो खुल रहा है। तो आप लोग देखिये इसीलिए इनलोग को ले आये की आप लोग देखिये,आप लोग सीखिए। आप का तो स्वाभाविक तौर से भगवान से प्रेम है क्यूंकि भारतवर्ष में जिसका जन्म हुआ है वो तो पुण्य से होता है। क्यों आप लोग पुण्य क खो बैठते हैं? भगवद भजन कीजिये और ये तो सरल उपाय है ये ही; | |||
:हरे कृष्णा हरे कृष्णा | |||
:कृष्णा कृष्णा हरे हरे | |||
:हरे रामा हरे रामा | |||
:रामा रामा हरे हरे | |||
धन्यवाद। थैंक यू वैरी मच। हरे कृष्णा |
Latest revision as of 03:16, 3 October 2025
A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada
Prabhupāda:
HINDI TRANSLATION
प्रभुपाद: और ये जो परदेश में प्रचार करने के लिए ये विषय है। उन्नीस सौ पैंसठ साल में जब मैं उदाहर गया था बोस्टन में तो उधर जहाज़ में गया था पहले समय हवाई जहाज़ में जाने के लिए परिस्थिति नहीं था। बॉम्बे में स्किनडीए नैविगेशन ने किकेट दिया था। तो किसी तरह से उधर पहुँचा था और बोस्टन पोर्ट में बैठ-बैठ के हम सोच रहा था की इनको भगवद भक्ति किस तरह से सिखाया जाये। पहले तो हम अगर कहेंगे की देखो जी तुमको मांस खाने को नहीं मिलेगा और अवैध स्त्री संघ करने को नहीं मिलेगा और जुआ खेलने को नहीं मिलेगा और नशा भांग, चाय कॉफी भी नहीं पी सकोगे तो ये जब सुनेगा तो उसी वक्त बोलेगा महाराज आप घर वापस जाइये, आप का ये बात सब नहीं चलेगा। पहले-पहले हमारा कई एक स्वामीजी गया था लंदन में और लार्ड जेटलैंड उनको पुछा था की महाराज आप हमको ब्राह्मण बना सकेंगे? तो उनको बताया गया की अगर आप ये चार चीज़ छोड़ देंगे तो आपको हम ब्राह्मण बना देंगे। तो बोला ये असंभव है, हमारे लिए ये असंभव है। ये जो अवैध स्त्री संघ और जुआ खेलना और नशा भांग करना और मांस आदि भक्षण करना, ये तो हमको चाहिए। इसलिए मैं सोच रहा था की किस तरह से इसको समझाया जाये की किस तरह से वैष्णव बनाया जाये। तो भगवान से प्रार्थना किया की आप जब इधर ले आएं हैं तो जरूर आपको कुछ मतलब है तो आप कृपा कीजियेगा की मैं इसको प्रचार करेगा। तो भगवान की कृपा से ऐसे ही हुआ। ये जो बालक लोग है पहले-पहले तो हम कीर्तन कर रहा था, ये लोग इक्खट्टे होते थे और पहले कुछ नहीं फिर कुछ दिन बाद इनका भीतर कोई-कोई बोलने शुरू किया की महाराज हमको दीक्षा दीजिये, हमको चेला बनाइये। तो हम ये शर्त दिया की देखो जी तुमको पहले ये चार चीज़ छोड़ने पड़ेगा। यदि इसमें तुम राज़ी है तो हम तुमको चेला बनाएगा। तो सब छोड़ दिया। अब एक नहीं हज़ारों सब छोड़ दिया। तो क्या आप लोग नहीं छोड़ सकते हैं क्या? जो लोग जीवन के पहले से ही ये सब सिखाया जाता है वो भगवान का नाम से ये सब छोड़ दिया और परम वैष्णव हो गया। ये लोग बीड़ी भी फूकता नहीं, सिगरेट भी चाहते नहीं। चाय भी नहीं पीते हैं। आप जानते हैं की अभी ये प्रोसेशन आते-आते ये बच्ची जो है इसको कोई कॉफ़ी दिया। बाकि वो बोला की नहीं हम कॉफ़ी नहीं पीते हैं। ये बच्चे भी नहीं, उसका माँ-बाप भी नहीं। तो ये भगवान को प्राप्त करने के लिए जरूर आपको पाप से विवर्जित होने पड़ेगा। ये ही तो भगवान खुद कहते हैं;
- येषां त्व अंत-गतं पापं
- जनानां पुण्य-कर्मणाम्
- ते द्वन्द्व-मोह-निर्मुक्ता
- भजन्ते माम् दृढ़-व्रतः
जो विरहता विषयी, भजन करने वाला है, वो साधारण व्यक्ति नहीं है। वो पाप ही नहीं कर सकेंगे, केवल पुण्यवान ही कर सकेंगे। ये तो भगवान कह रहे हैं न "येषां त्व अंत-गतं पापं" जिसका पाप बिलकुल खो गया है और केवल पुण्य काम है वो ही खाली भगवद भजन कर सकेगा। ये साधारण बात नहीं है। ये क्यूंकि अर्जुन भगवान से गीता सुन करके भगवान को क्या बताता है; "परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्"। तो भगवान जो है "पवित्रं परमं" परम पवित्र है। तो भगवान के पास अपवित्र पापी कोई नहीं पहुँच सकेगा। इसलिए जीवन अपना पवित्र करना चाहिए। तो जीवन पवित्र करने के लिए ये जो चार खम्बे हैं पाप जीवन के लिए; अवैध स्त्री संघ, अपना स्त्री जो है विवाहित, मनुष्य समाज में विवाह है, पशु समाज में विवाह नहीं है, क्यों? मनुष्य को पाप से वर्जित करने के लिए। तो इसलिए अवैध स्त्री संघ; अपना वैवाहित स्त्री छोड़ करके कोई स्त्री से संपर्क नहीं रखना। ये हमारा चाणक्य पंडित निति वाक्य से बताया है, साधारण निति, समाज की निति,
- मातृवत पर-दारेषु
- पर-द्रव्येषु लोष्ट्रवत
- आत्मवत् सर्व-भूतेषु
- यः पश्यति स पंडितः
पंडित किसको कहा जाता है? एम् ए, बी ए पास करने से कोई पंडित नहीं होता है। उसको पहचान होता है। क्या चीज़/ जो अपना स्त्री छोड़ करके जितने स्त्रियां हैं अपना माता समझता है। जो समझने वाला है। ये नहीं की हमारा स्त्री है औअर दूसरी स्त्री को भी पटा लो। ये सब पाप करने से भगवान कभी नहीं मिलते हैं। इसलिए कहते हैं "येषां त्व अंत-गतं पापं"। महापापी जो होते हैं वो भगवान से संपर्क नहीं करते हैं। इसलिए वो पाप करते-करते इतना महापापी हो जाते हैं की आगे जा के कहते हैं की भगवान कुछ है नहीं। अरे भगवान है, तुम्हारा संपर्क नहीं है। भगवान है। भगवान नहीं है, ये सब विचार। तो देखिये ये लोगों को समझाया गया। ये समझ लिए और इसी तरह से जीवन निर्वाहित कर रहे हैं और देखिये कितना सुखी हैं। और एक नहीं हज़ारों। और ये आंदोलन यूरोप,अमेरिका में खूब अच्छी तरह से चल रहा है। हमलोग का केंद्र कम-से-कम महीना में एक-दो खुल रहा है। तो आप लोग देखिये इसीलिए इनलोग को ले आये की आप लोग देखिये,आप लोग सीखिए। आप का तो स्वाभाविक तौर से भगवान से प्रेम है क्यूंकि भारतवर्ष में जिसका जन्म हुआ है वो तो पुण्य से होता है। क्यों आप लोग पुण्य क खो बैठते हैं? भगवद भजन कीजिये और ये तो सरल उपाय है ये ही;
- हरे कृष्णा हरे कृष्णा
- कृष्णा कृष्णा हरे हरे
- हरे रामा हरे रामा
- रामा रामा हरे हरे
धन्यवाद। थैंक यू वैरी मच। हरे कृष्णा
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